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रामपुर के एसपी संजीव त्यागी की मुस्तैदी ने रोकी निर्भया जैसी वारदात
वाराणसी में फूलपुर के थाना प्रभारी संजीव मिश्रा और रामपुर के एसपी संजीव त्यागी में नाम की समानता के अलावा एक और बात एक सी है- कर्तव्य के प्रति निष्ठा और हर महिलाओं के प्रति सम्मान। संजीव मिश्रा ने जहां दुष्कर्म पीड़ित चार साल की लावारिस बच्ची को गोद में उठाकर उसके इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल की दौड़ लगाई और सभी खर्च खुद उठाए, वहीं संजीव त्यागी की मुस्तैदी से चलती बस में निर्भया कांड जैसी वारदात होने से बची और पांचों आरोपी भी दबोचे गए। इस घटना के बाद एसपी संजीव त्यागी रातों-रात उत्तर प्रदेश की जनता और यूपी पुलिस के हीरो बन गए हैं।
वाकया यह है कि एक महिला वकील बस में सवाल होकर अपनी बेटी के साथ नैनीताल से दिल्ली जा रही थीं। बीच रास्ते में ही बस के कंडक्टर और ड्राइवर के अलावा तीन और लोगों ने महिला और दूसरे यात्रियों के साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी शुरू कर दी। गुंडे हद पार करने लगे तो महिला वकील ने सूझबूझ से काम लिया और मोबाइल से इंटरनेट पर रामपुर के एसपी संजीव त्यागी का मोबाइल नंबर खोजा और उन्हें फोन लगाया। तब रात के 1:30 बज रहे थे। हालांकि कर्तव्य के प्रति सजग एसपी संजीव ने फोन उठाया। महिला की आवाज सुनकर ही वे समझ गए कि वो मुश्किल में हैं। इसलिए बिना किसी देरी के उन्होंने पूरे जिले की पुलिस को अलर्ट कर दिया। कुछ मिनटों की कोशिश के बाद ही रामपुर के मोट इलाके में पुलिस ने बस को घेर लिया। महिला समेत सभी यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि पांचों गुंडों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। निश्चित तौर पर यह उत्तर प्रदेश पुलिस के बदलते चेहरे और महिला अपराधों को रोकने के प्रति उसकी संवेदनशीलता को रेखांकित करता है तो साथ ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पुलिस व्यवस्था में सुधारों के लिए चलाए गए कार्यक्रमों को भी अंडरलाइन करता है।
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