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जैसे-जैसे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे निर्माण के अंतिम दौर में पहुंच रहा है, उसके साथ उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। पहला तो यह एक्सप्रेस रिकॉर्ड समय में पूरा हो रहा है। दूसरा यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा। तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इतनी बड़ी परियोजना को लेकर किसानों की कोई शिकायत सामने नहीं आई। खुद यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शब्दों में कहें तो यह बदलते यूपी का आईना है। विकास का गवाह है आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे।
अखिलेश यादव के लिए यह परियोजना कितनी मायने रखती है। इसका अंदाजा आप भारत की प्रतिष्ठित मैग्जीन को दिए गए उनके इंटरव्यू के इस अंश के कर सकते हैं। अखिलेश अपने साथ हेलीकॉप्टर से दौरा कर रहे मैग्जीन के रिपोर्टर से विमान में ही पूछते हैं- ‘आप देख रहे हैं कि हम लोग सड़क के किनारे-किनारे उड़ रहे हैं। कहीं ऐसा होता है क्या? हमने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को बिल्कुल सीधा बनाया है। यह दो बिंदुओं के बीच सबसे छोटी दूरी है। सरकार ने इस परियोजना के लिए बिना कोई असंतोष पैदा किए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहित की है। इसके लिए हमने किसानों को सर्किल दर के चार गुना तक भुगतान किया है। हमने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण में यह बात सुनिश्चित की है कि कम से कम मंजूरियों की जरूरत पड़े। इसके लिए परियोजना को उन पर्यावरणीय क्षेत्रों से दूर रखा गया, जिनके लिए केंद्रीय मंजूरी की दरकार होती है। इटावा के पास मूल योजना के करीब शेरों का अभयारण्य पड़ रहा था। मंजूरी से बचने के लिए एक्सप्रेस-वे को दस किलोमीटर दूर कर दिया गया क्योंकि वह मंजूरी नहीं मिलती।’
निःसंदेह इस परियोजना को लेकर अखिलेश यादव ने जैसी रुचि दिखाई है, उसी का परिणाम है कि देश का सबसे लम्बा 302 किलोमीटर का यह एक्सप्रेस-वे मात्र 22 माह में पूरा होने जा रहा है। जबकि इसके पहले यूपी में ही सबसे लम्बा 165.50 किमी का यमुना एक्सप्रेस-वे पांच साल में बनकर तैयार हुआ था। एक और गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना प्रवेश नियंत्रित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है, जबकि युमना एक्सप्रेस वे की लंबाई मात्र 165.50 किलोमीटर है, फिर भी उसके निर्माण पर 12 हजार करोड़ रुपये खर्च हो गए। एक्सप्रेस वे की लंबाई और खर्च में तुलना करें तो यमुना एक्सप्रेस वे पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के मुकाबले करीब डेढ़ गुना खर्च हुए।
यूपीडा के सीईओ नवनीत सहगल की मानें तो आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण इस वर्ष अक्टूबर तक पूरा होना एक रिकॉर्ड है। एक्सप्रेस वे का काम इस समय युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसे समय पर पूरा करने के लिए अनूठा मोटिवेश्शनल तरीका भी निकाला गया है। यूपीडा के दफ्तर में हर अधिकारी के कमरे में एक बोर्ड टांगा गया है, जिस पर हर रोज सुबह ये लिखा जाता है कि काम खत्म करने के अब कितने दिन बचे हैं। सहगल के मुताबिक 24 घंटे चलने वाले इस काम को पहले यह काम 36 महीने में खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अब यह लक्ष्य घटाकर 22 महीने कर दिया गया।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से एक रिकॉर्ड यह भी जुड़ा है कि इसके निर्माण में भूमि अधिग्रहण को लेकर कहीं पर भी कोई शिकायत सुनने में नहीं आई, जबकि यमुना एक्सप्रेस वे के निर्माण में भूमि अधिग्रहण को लेकर तमाम बवाल हुए थे और राज्य सरकार को स्वयं आगे आना पड़ा था। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 10 जिलों के 232 गांवों में 3,420 हेक्टेयर भूमि 30,456 किसानों से हासिल की गई। परियोजना हेतु भूमि के अधिग्रहण कार्य किसानों द्वारा पूरा सहयोग और सहमति प्रदान की गई है, जिससे आकर्षित होकर भारत सरकार ने इस परियोजना हेतु अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के अध्ययन के लिए अपना प्रतिनिधिमंडल भी भेजा था।
इस एक्सप्रेस वे की गुणवत्ता भी अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इस एक्सप्रेस-वे पर भारतीय वायु सेना ने अपने विमानों को अपरिहार्य परिस्थितियों में उतारने में रुचि व्यक्त की थी, जिस पर इसके डिजाइन में जरूरी पर्वितन करके वायु सेना के विमान उतारने लायक बनाया जा रहा है, यह भी एक रिकार्ड है।
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के बन जाने पर देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीधा संपर्क हो जाएगा। यह एक्सप्रेस वे यूपी के 10 जिलों से होकर गुजरेगा। इससे जुड़ने वाले आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर, मैनपुरी, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ जिलों में व्यावसायिक गतिविधियां तेज होंगे। उल्लेखनीय बात यह है कि इस एक्सप्रेस वे के निर्माण से किसानों को जबरदस्त लाभ होगा। उनकी उपज आसानी से और सीधे मंडी तक पहुंच जाएगी।
एक्सप्रेस-वे के किनारे कृषि मंडियों, स्मार्ट सिटीज, लाजिस्टिक पार्क और फिल्म सिटी की भी स्थापना की जा रही है, जिससे रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे। यूपीडा द्वारा ईपीसी मोड पर निर्मित किए जा रहे आगरा-लखनऊ प्रवेश नियंत्रित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे पर हैंडलूम तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, शीतगृहों के निर्माण एवं भंडारण तथा दुग्ध आधारित उद्योगों के विकास में उत्प्रेरक का कार्य करेगा। इस मार्ग के निर्मित हो जाने से विभिन्न उद्योगों जैसे-कृषि, हैंडीक्राफ्ट, पर्यटन उद्योग के विकसित होने से रोजगार के नए अवसर खुलेंगे तथा चिकित्सा सेवाओं एवं शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ फलों, सब्जियों तथा डेयरी उत्पादों का त्वरित परिवहन भी संभव हो सकेगा।
लखनऊ से आगरा तक का सफर सुहाना और सुरक्षित होगा साथ ही इस सफर में लोगों को अपनी जेब कम ढीली करनी पडेगी। इस एक्सप्रेस वे में टोल टैक्स दूसरे एक्सप्रेस वे के मुकाबले बहुत कम होगा, जिससे यात्रियों का सफर सस्ता और सुखद होगा। इतने लंबे रास्ते में सिर्फ दो टोल प्लाजा होंगे। एक लखनऊ में और दूसरा आगरा के पास। बाकी टोल सब साइड वे बने होंगे जहां पर अलग-अलग तरीके के छोटे टोल प्लाजा बनाए जाएंगे। मेन रोड से इन टोल प्लाजाओं से रफ्तार में कोई रुकावट नहीं आएगी।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे आगरा जिले के एतमादपुर मदरा गांव से प्रारंभ होकर लखनऊ जिले के मोहान रोड स्थित सरोसा-भरोसा गांव पर समाप्त होगा। 110 मी. चौड़े और छह लेन वाले एक्सप्रेस-वे को भविष्य में 08 लेन तक विस्तारित किया जा सकता है। यात्रियों की सुविधा के लिए बीच बीच में पुलिस और पीएसी के कैम्प भी होंगे। साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण तथा मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। एक्सप्रेस-वे के किनारे ग्रीन बेल्ट भी विकसित की जाएगी। इस प्रयोजन हेतु लगभग 3 लाख पौधे रोपित किए जाएंगे।
एक्सप्रेस वे के बीच बीच में सुरक्षा के इंतजाम भी किए हैं। सरकार ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर पीएसी की तीन बटालियन को स्थापित किए जाने का फैसला लिया है। पीएसी की तैनाती पर डीजीपी मुख्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। नया एक्सप्रेस-वे होने की वजह से इसके इर्द-गिर्द पीएसी की बटालियन की स्थापना कर रास्ते पर निगरानी रखी जाएगी। एक्सप्रेस-वे पर पुलिस की गाडियों की आवाजाही आम जनता को सुरक्षा का अहसास कराएगा। आने वाले तीन बरसों में डीजीपी मुख्यालय प्रदेश में पीएसी की दस बटालियन का इजाफा करने का रोडमैप तैयार कर रहा है।
एक एक्सप्रेस के निर्माण से जब इतनी सारी सकारात्मक बातें जुड़ी हो तो इस बात में कोई शक नहीं किया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश प्रगति की किन ऊंचाइयों को छूने की ओर है। निःसंदेह इसका श्रेय युवा सोच वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ही जाता है।
Source : Uttar Hamara
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